Makar Sankranti 2023: दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से जानेगे Makar Sankranti 2023 में कब है? Makar Sankranti क्यों मनाया जाता है? happy lohri wishes इन सभी के बारे में जानेगे –
Makar Sankranti 2023 के बारे में
मकर संक्रांति – Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति भारत का एक मुख्य पर्व माना जाता है। मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है । पौष माह में जब सूर्य मकर संक्रांति राशि पर आता है। तभी इस पर्व को मनाया जाता है ।
मकर संक्रांति को सूर्य के संक्रमण का त्यौहार माना जाता है। एक जगह से दूसरी जगह जाने वाला अथवा एक दूसरे का मिलना ही मकर संक्रांति माना जाता है। सूर्य देव जब धनुष राशि से मकर संक्रांति पर पहुंचते हैंं ,तभी मकर संक्रांति मनाई जाती है।
Makar Sankranti कब मनाया जाता है?
वर्तमान समय में यह त्यौहार जनवरी माह मे चौदहवें या पन्द्रहवे दिन पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है महाभारत के अनुसार पांडवों ने अपने वनवास के दौरान मकर संक्रांति मनाई । इस मकर संक्रांति पर हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार लोग देवी संक्रांति की पूजा करते हैं।
जिन्होंने राक्षस शंकरासुर का वध किया अगले दिन मकर संक्रांति को करीदीन या किक्रांन के रूप में जाना जाता जब। जब देवी ने राक्षस किंकरासुर को मार डाला भारत में पौष शुक्ल के पक्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति पूरे भारत वर्ष और नेपाल के मुख्य फसल कटाई के रूप में त्यौहार मनाया जाता है ।
हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में 14 जनवरी को मनाया जाता है ।इस दिन उत्सव के रूप में स्नान दान किया जाता हैं। इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव से नाराजगी से आकर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन को सुख और समृद्धि का माना गया है ।इस दिन पवित्र नदी में स्नान दान पूजा आदि करने से हजार गुना बढ़ जाती है।
इस दिन हमारे भारत में अन्य कई जगहों पर मेला लगता है । तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जबकि कर्नाटक केरल तथा आंध्रप्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं। इस मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। और देवताओं का दिन आरंभ होता है मकर संक्रांति पर सूर्य देव के साथ ही शनि महाराज की पूजा होती है।
जनवरी के बाद सूर्य दिशा की ओर अग्रसर होता है इसीलिए उत्तरायण उत्तर की ओर होता है जनवरी महीने के कुछ दिन बाद मकर संक्रांति के पावन पर बड़े दिन अथवा रातें छोटी होने लगती हैं। इसकी शुरुआत दिसंबर से होती है लेकिन मकर संक्रांति से यह क्रम बदल जाता है माना जाता है । कि मकर संक्रांति से कुछ दिन बाद ठंड कम होने की शुरुआत हो जाती है ऐसा इसलिए होता है। कि पृथ्वी का झुकाव हर 6,6 माह तक निरंतर उत्तर और छह माह दक्षिण और की ओर बदलता रहता है ।
और यह प्राकृतिक प्रक्रिया इसी दिन होता है मकर संक्रांति से जुड़े पौराणिक मान्यताओं की बात करें तो माना गया है। किमकर संक्रांति केदिन गंगा भगवान विष्णु के अंगूठे से निकल कर गंगा भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलकर भगीरथ होते हुए सागर में मिल गई ।मकर संक्रांति पर सूर्य के धनु राशि से निकलने पर खरमास का समापन इसी।

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मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य – Makar Sankranti January 2023
Makar Sankranti का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है । मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सूर्य देव की पूजा का विधान किया जाता है। और यह जाना जाता है। कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जातकों के पाप धुल जाते हैं ।मकर संक्रांति के दिन दान पूर्ण करना शुभ माना जाता है। कि मकर संक्रांति के दिन यदि कोई आपके घर पर साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आ जाता है। तो उसे घर से खाली हाथ न जाने दे। दान पुन्य करने से मन की मनोकामना पूर्ण होती है ।कुछ लोगों का मानना है कि Makar Sankranti के दिन कुछ कार्यों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए।
ऐसे कार्य बेहद अशुभ माने जाते हैंमकर संक्रांति के दिन हमारे भारत की कुछ औरते व्रत भी रहती है। और ये घर पर ही तिल गुड़ और चने कि मिठाई बनाती हैं फिर घर पर सब लोग इसे बहुत ही स्वाद से खाते हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व माना जाता है । इस दिन किया गया गंगा स्नान खिचड़ी, गर्म वस्त्र तिल ,चावल घी , कंबल ,गुड़ ,के दान और भगवान के दर्शन से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है । अचार्य डा• सुशांत राज्य के मुताबिक मकर संक्रांति में सूर्य के प्रवेश के दौरान सूर्य देव की पूजा फलदाई होती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं ।
यह दिन बड़ा पावन माना जाता है ।जब यशोदा जी ने कृष्ण जन्म के लिए व्रत रखा था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदापर्ण रहे थे। और उस दिन मकर संक्रांति थी तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ इसी कारण मकर संक्रांति के अवसर पर संपूर्ण भारतवर्ष में लोग विविध रूप से सूर्य देव की उपासना एवं आराधना पूजन कर उनके प्रति कृतज्ञ प्रकट करते हैं । नवग्रहों मेंं सूर्य ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिसके आस पास सभी ग्रह घूमते रहते हैं यही प्रकाश देने वाला पूंजी है । जो धरती पर जीवन प्रदान करता है प्रतिवर्ष 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे सामान्य भाषा में( मकर संक्रांति )कहते हैं। जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है ।
उस अवधि को सौर वर्ष कहते हैं धरती का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना ‘क्रांति, चक्र ‘कहलाता है । इस परिधि को 12 भागों में बांटकर 12 राशियां बनती है। इस दौरान 30 साल बाद यह दोनों ग्राहक मकर राशि में उपस्थित होंगे ग्रहों के इस योग्यताओं से हमारे जीवन पर पड़ने वाला है ।दो विपरीत ग्रहों का एक ही राशि में उपस्थित होना सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है । क्यों कि यह ग्रह एक साथ बहुत कम मिलते हैं लेकिन जब वह ऐसा करते हैं तो कुछ असामान्य घटना की संभावना होती है। ज्योतिष चार्य के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में सेमकर राशि पर प्रवेश करते हैं ।
तब मकर संक्रांति का पर्व आता है इस दिन घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होते हैं ।देवयानी माना जाता है। कि इस दिन जो लोग के दरवाजे खुल जाते हैं मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की आराधना होती है। सूर्य देव को जल ,लाल फूल ,लाल वस्त्र, गेहूं, गुड अक्षत सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। विद्वान में माना गया है कि भगवान गणेश माता लक्ष्मी और महादेव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है ।
मकर संक्रांति के दिन कहीं कहीं तो खिचड़ी और चूडा़दही का भोजन किया जाता है तथा तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। यह लड्डू मित्र या सगे सम्बन्धियो मे बांटे जाते हैंमकर संक्रांति त्योहार में कई अलग अलग है ।कई अलग-अलग पकवान भी बनाए जाते हैं यह पहले या बाद में यानी की 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है मकर संक्रांति पर दाल और चावल की खिचड़ी बनाई जाती है। हम खिचड़ी को विशेष रूप से गुड़ या घी के साथ खाई जाती है मकर संक्रांति में अधिकतर लोग रंग बिरंगी पतंगे उड़ाते हैं।
Makar sankranti क्यों मनाया जाता है?
हमारे भारत में हर साल अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। सभी धर्मों के अपने – अपने त्यौहार और पर्व होते हैं लेकिन अगर देखा जाए ,तो सबसे ज्यादा त्योहार हिंदू धर्म में होते हैं ।मकर संक्रांति को पूरे देश में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है । मकर संक्रांति का त्योहार बुराई को खत्म करके अच्छाई की शुरुआत की जाती है ।हर साल की शुरूआत मकर संक्रांति के पर्व के साथ होती है ।जो आनंद और खुशी का त्योहार है मकर संक्रांति का उद्देश्य लोगों के बीच भेद भाव की भावना को खत्म करके मिल जुल कर रहना चाहिए ।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का मुख्य त्यौहार कैलेंडर के अनुसार पौष महीने में जब सूर्य दक्षिणायन सेउत्तरायण यानी कि मकर रेखा में प्रवेश करता है ।तो उसे मकर संक्रांति का त्योहार कहा जाता है ।परंतु सभी जगहों पर सूर्य की पूजा की जाती है देश के अलग-अलग राज्यों में भी विभिन्न नामों वाले इस त्यौहार में फसलों की अच्छी पैदावार होती है। मकर संक्रांति में भगवान सूर्य की पूजा कर उन्हें धन्यवाद किया जाता है ।
Makar Sankranti के पर्व में भगवान सूर्य को तिल, गुड़, ज्वार, बाजरे, के बने पकवान अर्पित किए जाते हैं ।मकर रेखा में सूर्य के प्रवेश का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो ऐसा होना बहुत ही शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति का नाम सूर्य और मकर के मिलन से बना है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है ।तब इन दिनों मिलक संक्रांति कहते हैं वही मगर एक राशि है जब इन दोनों का मिलन हुआ मकर संक्रांति पर तीर्थ की शुरुआत भी होती है ।
सूर्य उत्तरायण के बाद देवों से ब्रह्मा मुहूर्त उपासना का पुण्यकाल शुरू हो जाता है । मकर संक्रांति को स्नान दान का पर्व भी कहा जाता है । तीर्थों में जाकर स्नान दान करना और बहुत अच्छा माना जाता है । इसे खिचड़ी उत्तरायण और लोहे के नाम से जाना जाता हैं |
FAQs: Makar Sankranti 2023
Saturday 14 January को है और मकर संक्रांति की शुरुआत 14 जनवरी 2023 को रात 08 बजकर 43 मिनट पर होगी | पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट तक होगा |
दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक मनाया जायेगा |