Warning: Attempt to read property "wordpress_plugin_tracking_enabled" on null in /home/u445277496/domains/jeetubhaiya.in/public_html/wp-content/plugins/surecart/app/src/WordPress/Assets/AssetsService.php on line 104
Subhash Chandra bose biography in Hindi - सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
Subhash Chandra bose biography in Hindi

सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय | Subhas Chandra Bose Biography

Subhas Chandra Bose Biography in Hindi) (History, Jayanti, Birth, Family, Wife, Death

दोस्तों आज की हमेशा अटकल पर जानेंगे सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय के बारे में उन्होंने कहा कि पढ़ाई की और वह स्वतंत्र कराने का उद्देश्य कब से हुआ और हिंद फौज का गठन कब हुआ और ब्रिटिश हुकूमत कब खत्म हुई इन सभी के बारे में जानेंगे-

Subhas chandra bose history

सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वह 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में जन्मे थे। उनके पिता जानकिनाथ बोस एक वकील थे।

सुभाष चंद्र बोस ने अपनी शिक्षा कोलकाता, कॉर्नवालिस विश्वविद्यालय, भारतीय सामान्य सेवा परीक्षा (ICS) की तैयारी के लिए लंदन में की थी। लेकिन उन्होंने ICS की परीक्षा देने से इंकार कर दिया और उन्होंने बदले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।

ब्रिटिश सरकार ने सुभाष चंद्र बोस को कई बार गिरफ्तार किया और उन्हें केंद्रीय कारागार में भेजा। उन्होंने दो बार भारत से बाहर भागने का प्रयास किया और अंततः 1941 में जर्मनी जा कर हिटलर के साथ मिले। वह अपनी सेना (अजाद हिंद फौज) को जर्मनी के साथ मिलाकर बनाया। उन्होंने जापान के साथ भी संबंध बनाया और अंततः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाने के लिए सेना के साथ भारत वापस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाईं। उन्होंने अपनी सेना के साथ बर्मा में जापानी सेना के साथ मिलकर आंदोलन की संरचना की और भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान दिया।

बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए भारत के राष्ट्रगान “वन्दे मातरम” का उत्सव समारोह आयोजित किया। उन्होंने अपने समर्थकों के लिए “जय हिन्द” की उपस्थिति को अनिवार्य बनाया और इसे भारत का राष्ट्रीय उपवाद बनाया।

1945 में उनकी मृत्यु हो गई जब उन्हें एक हवाई दुर्घटना में घायल हो गया। हालांकि, उनकी मृत्यु के पीछे कुछ अनसुलझे राजनीतिक कथनों ने हमेशा से अविश्वास को उत्पन्न किया है। उनका नाम भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उनकी शौर्य और दृढ़ संकल्प आज भी लोगों को प्रेरित करता है।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय (Overview)

1पूरा नामनेता जी सुभाषचंद्र बोस
2जन्म23 जनवरी 1897
3जन्म स्थानकटक , उड़ीसा
4माता-पिताप्रभावती, जानकीनाथ बोस
5पत्नीएमिली (1937)
6बेटीअनीता बोस
7म्रत्यु18 अगस्त, 1945 जापान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जीवन परिचय

Netaji Subhas Chandra Bose Biography in Hindi

सुभाष चंद्र बोस (23 january 1897 – 18 अगस्त 1945) भारत के स्वतंत्रता ग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय, विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद ,फौज का गठन किया जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंसॉव कॉलेजिएट स्कूल में पूर्ण किया था।

तत्पश्चात उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रेजिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश सर जी कॉलेज से हुई और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने सुभाष चंद्र बोस को इंग्लैंड के क्रेजी जीसुभाष चंद्र बोस को इंग्लैंड के केब्रिज विश्वविद्यालय में भेज दिया अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था।

किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया सक्रिय राजनीति में आने से पहले नेताजी ने पूरी दुनिया का भ्रमण किया वह 1933 से 36 तक यूरोप में रहने लगे यूरोप में यह दौर था हिटलर के नाजीवाद और मुसोलिनी फासीवाद का निशाना इंग्लैंड था। नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चंद्र बोस ने सशक्त क्रांति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की आजाद हिंद फौज का गठन भी किया इस गठन के प्रतीक चिन्ह पर एक झंडे पर रहते हुए बाघ का निशान बनाया गया था। नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुंचे थे नेताजी हिटलर से मिले उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत और देश की आजादी के लिए कई काम किए

रतन टाटा बायोग्राफी हिंदी में जाने

सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी छोड़ा

उन्होंने 1943 में जर्मनी छोड़ दिया उस वक्त रासबिहारी बोस की आजाद हिंद फौज के नेता थे उन्होंने आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजीमेंट का भी संगठन हुआ जिसकी लक्ष्मी सहगल कैप्टन बनी जिसने पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी एक समझौता किए थे। उसका बदला इंग्लैंड से लेना चाहते थे ।पर भारत मैं भीे‌ जों का कब्जा था और इंग्लैंड के खिलाफ लड़ाई में नेताजी को हिटलर और मुसोलिनी मे भविष्य का मित्र दिखाई पड़ रहा था उनका मानना था ।कि स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग की भी जरूरत पड़ती है।

1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर उसने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और भारत लौट आए सिविल सर्विस छोड़ने के बाद भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए इस बीच दूसरा विश्व युद्धछिड़ गया सुभाष चंद्र बोस का मानना था। कि अंग्रेजों के दुश्मनों से मिलकर आजादी हासिल नहीं की जा सकती उनके विचार को देखते हुए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता में नजरबंद कर लिया। लेकिन वह हो अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की सहायता से वहां से भाग निकले |

1938 में भारतीय कांग्रेस पार्टी

1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोजन का संगठन किया या निधि गांधीवादी आर्थिक विचारों के अनुकूल नहीं था ।1939 मे सुभाष चंद्र बोस एक गांधीवादी प्रतिद्वंदी को हराकर विजय प्राप्त हुए। गांधीजी ने इसे अपनी हार के रूप में स्वीकार कर लिया उनके अध्यक्ष चुने जाने पर गांधी जी ने कहा कि बॉस की जीत मेरी हार है। और ऐसा लगने लगा कि वह कांग्रेस वर्किंग कमिटी से त्यागपत्र दे देंगे गांधीजी के विरोध के चलते इस विद्रोही अध्यक्ष ने त्यागपत्र देने की आवश्यकता महसूस किया गांधी के लगातार विरोध को देखते हुए उन्होंने स्वयं कांग्रेस छोड़ सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी जी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे। वास्तव में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे।

सुभाष चंद्र बोस का जन्म कहां हुआ था?

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था बोस के पिता का नाम जानकी नाथबोस और माता का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे सुभाष चंद्र उनकी नौवीं संतान और पांचवें बेटे थे अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र से था महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के विचार भिन्न-भिन्न थे लेकिन यह अच्छी तरह से जानते थे कि महात्मा गांधी और उनका मकसद एक है। यानी देश की आज़ादी सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर नेता जी ने संबोधित किया चंद्र बोस के घर के सामने उनके कॉलेज की दूरी 3 किलोमीटर थी जो पैसे उन्हें खर्च के लिए मिलते थे ।

उनमें उनका बस का किराया भी शामिल था नेताजी सुभाष चंद्र बोस के घर के सामने एक बुढ़िया रहा करती थी। वह बहुत गरीब थी सुभाष चंद्र बोस देखते थे कि वह भिखारीन हमेशा भीख मांगती थी और उसका दर्द साफ दिखाई देता था ।उसकी ऐसी अवस्था देखकर उनका दिल दहल जाता और उन्हें यह देखकर बहुत कष्ट होता था कि उसे दो समय की रोटी भी नहीं नसीब होती बरसात ,तूफान ,कड़ी धूप ,ठंड ,में वह अपनी रक्षा नहीं कर पाती सुभाष चंद्र बोस जी यह सोचते थे यदि हमारा समाज एक ऐसा भी व्यक्ति है। कि वह अपनी आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकता तो मुझे सुखी जीवन जीने का क्या अधिकार है ।और उन्होंने ठान लिया कि केवल सोचने से कुछ नहीं होगा कोई ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा बंगाल की सरकार ने न सिर्फ उनके 38/2 एल्गिन रोड के घर के बाहर सादे कपड़ों में पुलिस का कठोर पहरा बैठा बल्कि यह पता करने के लिए। कि उनमें से कुछ जासूस छोड़े गए थे की घर के अंदर क्या हो रहा है ।

उनको भारत से गुप्त रूप से निकालने में उनके भतीजे शिशिर के नेतृत्व में योजना बनाई की शिशिर अपने चाचा को देर रात अपनी कार में बैठाकर कोलकाता से दूर रेलवे स्टेशन तक ले गए। कोलकाता के वैचल मौला डिपार्टमेंट स्टोर से बोस के भेष बदलने के लिए कुछ ढीली सलवार और एक फौज की टोपी खरीदें अगले दिन एक अटैची दो कार्टसवूल की कमीज ,टॉयलेट का कुछ समान तकिया और ,कंबल खरीदा। 1939 मे उन्होंने मेन ऑल इंडिया फॉवर्ड ब्लॉक की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजोंके खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया ।

1940 में जब हिटलर के बमवर्सक लंदन पर बम गिरा रहे थे। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध जापानी सेना को पीछे हटान पड़ा और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। सिंगापुर के टाउन हाल केसिंगापुर के टाउन हॉल के सामने ‘कमाण्डर’ के रूप में सेना को संबोधित करते हुए नेताजी जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश हुआ कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इफाल और कोहिमा के साथ जमकर मोर्चा लिया भारत की आजादी की अपनी इस लड़ाई के दौरान नेता जी ने कुछ कल जय नारे दिए थे उनके द्वारा दिया गया नाराकल जय नारे दिए थे।

बोस ने अपना नारा कब दिया

उनके द्वारा दिया गया नारा जय हिंद भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” एक सर्वकालिक अद्भुत नारा माना गया ।जिसने पूरे भारत में चेतना जगह दी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार बनाई जिसे जर्मन जापान फिलिपिंस कोरिया चीन इटली “मान्चुको” और आयर लैंड सहित 11 देशों की सरकारों मान्यता दी कि जापान के अंडमान निकोबार द्वीप इस अस्थाई सरकार को दे दिया ।

उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगी थी। आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली माना जाता है की अगस्त 1945 को उनकी मौत हुई थी लेकिन नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है जहां जापान में प्रति वर्ष जहां जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है। कि सुभाष चंद्र की मौत 1945 में नहीं हुई थी ।भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर उनकी याद में तिरंगा फहराया था सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती है जिससे पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

सुभाष चंद्र बोस की कहानी

सुभाष चंद्र बोस आजादी के उन मामलों में से एक हैं ।जिन्होंने अपना घर परिवार समाज देश के लिएएक ऐसी विशाल सेना खड़ी की जिन्होंने अंग्रेजों की एक ऐसी विशाल सेना खड़ी की जिन्होंने अंग्रेजों की समस्त सेना को चुनौती देने का कार्य किया ‌। गठन का सुझाव सुभाष चंद्र ने देश के प्रति अपनी निष्ठा और विश्वास अपने कर्तव्य को प्रशासित किया इस लेख में सुभाष चंद्र बोस की संबंधित कहानियों का अध्ययन करके जो देश भक्तजो देशभक्ति से ओत – प्रोत है इसके माध्यम से आप उनके देश भक्ति तथा बुद्धि माता देशभक्तों की फौज खड़ी की गई यह फौजी किसी भी देश के फौजी से अधिक ताकतवर है।

क्योंकि इस फौज के देशभक्त सर्वोपरि थे ।देश के लिएअपना सर्वस्व करने के लिए तत्पर जवान सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में कार्य कर रहे थे सुभाष जी गने पुरुषों की फौज ही नहीं वीरांगनाओं की फौज भी समांतर खड़ी की थी। यह वीरांगना किसी भी परिस्थिति में देश के हित के लिए तत्पर रहने वाली थी ।उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में कुमार सुभाष चंद्र बोस की कहानियां आज हम लेख में प्रस्तुत करते हैं ।फोन के बदले आजादी देने वाले नेता जी वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है जी की जयंती पर पूरेदेश के में जगह-जगह पर कर्मचारियों का आयोजन किया जाता है उनकी जन्मस्थली बंगाल में आयोजन हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा गेट लगाई जाएगी।

मोदी सरकार ने एक भव्य आयोजन किया सुभाष चंद्र बोसकी प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाई जाएगी।देश की स्वतंत्रता के इतिहास महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती है । देश की स्वतंत्रता लेकिन देशभक्ति, सदा, सर्वदा ,संदिग्ध ,और अनुकरणीय मानी जाती है 18 अगस्त1945 को हवाई हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोसके निधन की खबर पहुंची इसी के साथ शुरू हुआ ।उनकी मृत्यु का रहस्य हकीकत जानने के लिए आयोग बनाएं माना जाता है ।कि नेताजी प्लेन में जहां बैठे थे ।उनके ऊपर पेट्रोल टैंक लगा था ।होते ही पेट्रोल टैंक उनके ऊपर गिरा उनका शरीर पेट्रोल से भी उनका शरीर पेट्रोल से भीगा था।

वह क्रैशके बाद जब भागने लगे तो उनके शरीर में आग लग गई तब उनके साथ कर्नल हबीब उर रहमान थेे ।आजादी के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए कर्नल हबीब रहमान नेहरू सरकार ने काफी दबाव के बाद 50 के दशक मैं शाहनवाज खान की अगुवाई में पहला जांच आयोग बनाए आयोग के सामने बयान देते हुए हबीब उरआयोग के सामने बयान देते हुए हबीब रहमान ने नेताजी के निधन की पूरी घटना बताई बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू मे हबीबउर रहमान ने बताया कि10 मिनट के अंदर बचाव दल हवाई अड्डे पर पहुंच गया लेकिन उनके पास कोई एंबुलेंस नहीं थी।

नेता जी को एक सैनिक ट्रक में लिटाकर तायहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया डॉ• तानेयाशि योशिमी ने सबसे पहले नेताजी को देखा और फिर हांगकांग्र की एक जेल में पूछताछ करने के लिए ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन अल्फ्रेड टर्नरने बताया किमरीजों के चिल्लाने की आवाज से नेताजी और रहमान को दूसरे कमरे में ले गए ।डॉक्टर ने बताया कि उनका शरीर पूरी तरह से जल चुका है यहां तक कि उनका दिल भी जल गया था ‌।और हबीब उर ने बताया तो मैंने देखा कि नेताजी जब मैं बाहर आया तो मैंने देखा कि नेता जी न्यूज से 10 किलोमीटर की दूरी पर खड़े हैं पश्चिम दिशा की ओर देखा उनके कपड़ों में आग लगी हुई थी और थोड़ा और बहुत मुश्किल से उनकी शर्ट निकाली और उन्हें जमीन पर लिटा दिया मैंने उनके गांव में रुमाल लगाकर खून बहना रोका नेताजी नेे यह सोच लिया था। कि मैं शायद नहीं बचा पाऊंगा सुभाष चंद्र बोस बोले अब आप मुल्क वापस जाएं तो लोगों को बताना नहीं कि मैं आखिरी दम तक देश की आजादी के लिए लड़ेऔर उन्होंने यह कहा कि हमारा “हिंदुस्तान” जरूर आजाद होगा ।

सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही हिम्मत और उदार थे। ओडिशा के कटक शहर स्थित उड़ीसा बाजार में एक बार फ्लैग फैल गया केवल बापू पाड़ा मोहल्ला है। जो इससे बचा हुआ था। क्योंकि वहां के लोग पढ़े लिखे थे और वहां साफ सफाई का ध्यान रखते थे। वहां के कुछ लड़कों ने सफाई अभियान चलाने के लिए एक दल बनाया 10 साल के बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े भी थे एक मुखिया भी था ।जो 12 साल का एक बालक था उड़िया बाजार में हैदर अली नाम का एक कुख्यात व्यक्ति रहता था ।लड़के पर उड़िया बाजार में साफ सफाई करने आते थे तो हैदर उन्हें भगा देता था ।वहां के वकीलों ने उसे कई बार जेल भिजवाया था ।

कुछ ही दिनों बाद हैदर की पत्नी और उसके बेटे को भी प्लेन हो गया जिससे वह बालक खबर पाते ही उनकी सेवा में लग गया। हैदर ने उनसे माफी मांगी बालक ने कहा अब तो हमारे पिता तुल्य माफी देने का अधिकार हमें नहीं हमे तो अब माफी देने का अधिकार हमें नहीं हमें तो आप से आशीर्वाद लेना चाहिए। हैदर अली उस बच्चे की निष्काम सेवा और मधुर वाणी से बहुत प्रसन्न हुआ नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम से विख्यात हुआ ।

सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद घोष के अनुयाई थे ।जब जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ तो वह व्यथित हो उठे उन्होंने देश को आजाद कराने की ठान ली ऐसे में उनके लिए अंग्रेजों की गुलामी करना मुश्किल था। यही कारण था कि साल 1921 में सुभाष चंद्र बोस ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। और महात्मा गांधी के संपर्क के मे आने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए ।

अंग्रेजों ने भारत का विभाजन करके पाकिस्तान नाम से अलग राष्ट्र बनाया पाकिस्तान में रहने वाले कई लोग भारत आने लगे और भारत में रहने वाले कई मुसलमान पाकिस्तान जाने लगे। पर अनेक हिंदू मुसलमान अपनी पुरानी जगह पर ही रहे उन दिनों हिंदू और मुसलमानों के बीच भीषण दंगे भड़क उठे वह एक दूसरे के प्रति नफरत और घृणा की बातें फैलाई गई गांधी जी और सब गांधी जी सब स्वीकार करने को तैयार नहीं थे 70 वर्ष की उम्र में भी यह भयानक दंगों के बीच लोगों को समझाने बुझाने चल दिए। उन्होंने कहा मैं अपनी जान की बाजी लगा दूंगा पर या नहीं होने दूंगा कि भारत मे मुसलमान लोग रेंग कर जिए।

सुभाष चन्द्र बोस जयंती (Subhas Chandra Bose Jayanti 2023)

दोस्तों आपको बता दें 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को हम सुभाष चन्द्र बोस जयंती के रूप में मनाते है। इस साल 2023 में 23 जनवरी को उनका 125 वें जन्मदिन के रूप में मनाया जायेगा।

आजाद हिंद फौज का संघर्ष -: (Azad Hind Fauj ka Sangharsh in Hindi ) 2023


आजाद सिंह फौज का नाम आते ही सुभाष चंद्र बोस का नाम सहज ही स्मरण हो जाता है ।उनका यह विश्वास था कि बिना शसस्त्र युद्ध किए भारत अंग्रेजों के शासन से मुक्ति नहीं पा सकता।अदर सुभाष चंद्र बोस ने फारवर्ड ब्लाक नाम युवकों का एक संगठन प्रारंभ किया । परिणाम स्वरूप सरकार ने उन्हें बंदी बना लिया । कुछ दिनों के बाद जेल से छोड़ तो दिया गया लेकिन उनके मकान में ही उन्हें नजर बंद कर दिया गया ।जनवरी 1943 ई को वह चुपचाप घर से निकलकर काबिल होते हुए जर्मनी से जापान जा पहुंची जनवरी 1943 ई को वह चुपचाप घर से निकलकर काबुल होते हुए जर्मनी से जापान जा पहुंचे ।जर्मनी और जापान की सहायता से उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन 21 अक्टूबर 1943 ई को किया द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी द्वारा बंदी बनाए गए 50 हजार सैनिक स्वेच्छा से आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए।

उन्होंने आम नागरिकों को भी इस फौज में भर्ती किया इसफौज में स्त्रीसैनिकों का भी एक दल रानी झांसी रेजीमेंट के नाम से बनाया गया ।आजाद हिंद फौज के सिपाही सुभाष चंद्र बोस को नेताजी कहते थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को “जय हिंद ” और “दिल्ली चलो” के नारे दिए। 4 जुलाई 1944 ई को आजाद हिंद रेडियो पर बोलते हुए उन्होंने गांधी जी को संबोधित करते हुए कहा भारत की स्वाधीनता का आखिरी युद्ध शुरू हो चुका है । राष्ट्रपिता भारत की मुक्त के इस पवित्र युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं चाहते हैं । सुभाष चंद्र बोस ने भारतवासियों को संघर्ष में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा।
‘तुम मुझे खून दो’ ‘मैं तुम्हें आजादी दूंगा’

FAQs: सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय

सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ?

बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ।

Subhash Chandra Bose की मृत्यृ कब हुई?

बोस जी की मृत्यृ 18 अगस्त 1945 को हुई।

सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम क्या था?

पत्नी का नाम एमिली था।

1 thought on “सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय | Subhas Chandra Bose Biography”

  1. Pingback: 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *