प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ – Premchand ka Jeevan Parichay

Munshi premchandra biography in Hindi (मुंशी प्रेमचंद्र का जीवन परिचय) – दोस्तों आज हम मुंशी प्रेमचंद जी का जीवन परिचय के बारे में जानेंगे उनकी विभिन्न प्रकार के उपन्यास है उनके बारे में जानेंगे और उन्हें प्रसिद्धि कहां से प्राप्त हुई और उन्होंने कई सारे ऐसे उपन्यास लिखे हैं उनके नाम हम देना चाहते हैं जैसे कि कर्म भूमि गोदान गबन रंगभूमि जी ऐसे उपन्यास है जो दुनिया भर में चल रहे हैं |

premchand ka jivan parichay: लोगों को बहुत प्रेरित करते हैं इनकी कहानियां उपन्यास आज हम मुंशी प्रेमचंद जी के बारे में विस्तार पूर्वक से सभी जानकारियां जानेंगे जैसे कि उन्होंने कौन-कौन से उपन्यास लिखे थे और मुंशी प्रेमचंद्र जी कौन हैं उनका नाम क्या था उनके पिता जी का क्या नाम था कहां रहते थे पूरा विस्तारपूर्वक जानकारी जानेंगे और उनके संघर्ष भरी कहानी के बारे में भी जानेंगे आइए देर न करते हुए मुंशी प्रेमचंद जी के बारे में जानते हैं और आपको जानकारियां अच्छी लगे तो शेयर करना एवं कमेंट करके अपनी राय बताना मत भूलना।

प्रेमचंद जी का संक्षिप्त जीवन परिचय (Overview)

आर्टिकल का नाम प्रेमचंद का जीवन परिचय
नाममुंशी प्रेमचंद
मुख्य नामधनपत राय श्रीवास्तव
जन्म31 जुलाई, 1880
जन्म का स्थललमही गांव, जिला-वारणशी, उत्तरप्रदेश
पिता का नामअजायबराय
माता का नामआनन्दी देवी
मृत्यु8 अक्टूबर 1936
भाषाहिंदी तथा उर्दू
पत्नीशिवरानी देवी
प्रमुख रचनाएँसेवासदन, गोदान, गबन, रंगभूमि, कर्मभूमि, मानसरोवर, नमक का दरोगा

मुंशी प्रेमचंद्र जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद्र जी का जन्म वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था कश्यप परिवार में इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था उनके पिता जी का नाम अजायब राय था और लमही गांव के डाक मुंशी थे । वहीं उनकी माता जी का नाम आनंदी देवी था इनका मूल एवं प्रमुख नाम धनपत राय श्रीवास्तव था इनको नवाब राय तथा मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है प्रेमचंद्र जी को हिंदी तथा उर्दू भाषा के एक महान लेखक थे उन्होंने उपन्यास और अमूल्य योगदान दिया है और यह बंगाल के प्रसिद्ध उपन्यास कारों में से एक थे |

सरत चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने उन्हें उपन्यास सम्राट कह कर संबोधित किया था प्रेमचंद्र जी 7 साल के थे तब उनकी माता जी का देहांत हो गया था 16 वर्ष की आयु में ही उनके पिताजी की भी मृत्यु हो गई थी उनका जीवन काफी संघर्षों से गुजरा कई सारी समस्याओं से गुजरना पड़ा क्योंकि एक विदाई होता है जो अपने बच्चों को देखभाल कर सके और शिक्षा पर ध्यान दे सके अब वह अकेले थे उन्होंने बहुत सारे संघर्षों के बाद प्रेमचंद्र जी का विवाह एक विधवा से हुआ उन्होंने 1906 में शिवरानी देवी जी से शादी किया |

उनसे तीन संताने हुई श्रीपतराव अमृतराय और कमलादेवी श्रीवास्तव था कहते हैं प्रेमचंद्र जी को कहानियां एवं उपन्यास पढ़ने का बहुत ही शौक था उन्होंने हाल में ही तिलिस्मे होशरूबा पढ़ लिया था जोगी सबसे बड़ी उपन्यासों में से एक उपन्यास है और उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा 1818 में अपने नजदीकी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की इसके पश्चात उन्होंने नौकरी के साथ-साथ अंग्रेजी फारसी दर्शन तथा इतिहास के साथ इंटर उत्तीर्ण भी किया उन्होंने 1919 में अंग्रेजी फारसी और इतिहास से बीएड की परीक्षा में सफल प्राप्त हुए और वह परीक्षा करने के पश्चात उन्हें शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर के पद में नियुक्त कर दिया गया था और इसके साथ-साथ मुंशी प्रेमचंद जी ने अपना किताबों से मन हटाया नहीं बल्कि और जोड़ते गए और इसके पश्चात उन्होंने कई सारे उपन्यासों को लिखा।

मुंशी प्रेमचंद्र के उपन्यास

  • मुंशी प्रेमचंद्र जी के हिंदी उपन्यास साहित्य में बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य में से मुख्य महत्वपूर्ण उपन्यास आसरा रे मआबिद उर्फ देवस्थान रहस्य और उर्दू की सप्ताहिक पत्रिका आवाज एक हल्क 8 अक्टूबर 1903 में और 1 फरवरी 1950 म प्रकाशित की गई थी।
  • मुंशी प्रेमचंद्र जी का दूसरा उपन्यास था हम खुरमा वह हम सवाद उन्होंने प्रकाशन किया था 1907 में इसके बाद हिंदी में प्रेमा नाम से इसका रूपांतरण किया गया थ।
  • कृष्णा उपन्यास का प्रकाशन 1907 में माना जाता है अक्टूबर-नवंबर के बीच में।
  • रूठी रानी का उपन्यास 1907 में अगस्त महीने में इन्होंने प्रकाशित किया था।
  • इसके बाद मुंशी प्रेमचंद्र जी ने 1912 में जल जलवऎ ईसार उपन्यास को प्रकाशित किया था।
  • और 1918 में सेवा सदन और इसका मूल रूप से पहले बाजार ए हुस्न नाम से उन्होंने उर्दू में लिखा था।
  • प्रेमाश्रम उपन्यास मुंशी प्रेमचंद्र जी द्वारा लिखी गई थी किसानों के लिए यह जीवन की सबसे पहली किताब थी ।
  • इसके बाद रंगभूमि उपन्यास प्रेमचंद्र जी ने अंधे सूरदास जी को अपनी कथा का नायक मानते हुए उन्होंने हिंदी साहित्य की सबसे बड़ी बदलाव वाली उपन्यासों में से एक थी।
  • निर्मला इसके पश्चात मुंशी प्रेमचंद जी ने इस उपन्यास के सहायता से अनमेल विवाह के समस्याओं के बारे में लिखा था।
  • अहंकार उपन्यास को 1926 में कायाकल्प उपन्यास के साथ प्रकाशित किया गया था।
  • प्रतिज्ञा उपन्यास यह भी बहुत ही अच्छी उपन्यासों में से एक है इस ग्रुप पर विधवा महिलाओं के जीवन की समस्याओं के बारे में बताया गया।
  • मुंशी प्रेमचंद्र की एक और प्रसिद्ध उपन्यास रही गबन गबन में रामानंद तथा उसकी पत्नी जालपा के विवाह जीवन को दर्शाया गया है कई सारी व्यक्तित्व घटना भी शामिल होती हैं।
  • कर्मभूमि उपन्यास यह एक भारत की सबसे सोच बदल देने वाली उपन्यासों में से एक थी इस किताब पर अछूत समस्याओं मंदिर में प्रवेश और लगन संबंधित समस्याओं से निकलने के लिए मुंशी प्रेमचंद जी ने इस किताब को लिखा था।
  • मुंशी प्रेमचंद्र जी की सबसे प्रसिद्ध उपन्यास गोदान उपन्यास थी और यह अंतिम उपन्यास थी और उन्होंने किसानों को जीवन के बारे में लिखा था
  • और अंत में मंगलसूत्र उपन्यास प्रेमचंद जी ने अधूरा लिखा हुआ है उपन्यास को पूरा लिखा गया है उनके पुत्र द्वारा उपन्यास को कई सालों बाद 1948 में प्रकाशित किया गया था।

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FAQs: प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म कब हुआ?

31 जुलाई, 1880

मुंशी प्रेमचंद जी की मृत्यु कब हुई?

8 अक्टूबर 1936

प्रेमचंद नाम किसने दिया?

पहले प्रेमचंद जी को कलम नाम से जानते थे एक काम सोज ए वतन 1960 में प्रकाशित हुआ। जिस पर ब्रिटिश शासकों ने प्रतिबंध लगा दिया। जिसमें उन्हें अपना कलम नाम बदलकर प्रेमचंद करना पड़ा |

मुंशी प्रेमचंद जी की प्रमुख रचनाएँ कौन कौन सी हैं?

मुंशी प्रेमचंद जी की प्रमुख रचनाएँ है – कर्मभूमि, मानसरोवर, सेवासदन, गोदान, गबन, रंगभूमि, नमक का दरोगा आदि ।

प्रेमचंद की पहली कहानी का नाम क्या है?

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